बेंगलुरु। भाजपा सांसद लहर सिंह सिरोया ने कांग्रेस नेता और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाया हैं। उन्होंने दावा किया है कि खड़गे परिवार द्वारा संचालित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को गुलबर्गा में 19 एकड़ सरकारी जमीन मुफ्त में मिली है। ट्रस्ट के अंतर्गत चलने वाले इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पाली, संस्कृत और तुलनात्मक दर्शन को यह जमीन कांग्रेस सरकार के दौरान आवंटित की गई थी।
भाजपा नेता सिरोया ने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टी खड़गे की पत्नी, दामाद और दो बेटे हैं। पाली इंस्टीट्यूट के सचिव श्री राधाकृष्ण, जो खड़गे के दामाद और वर्तमान गुलबर्गा के सांसद हैं, ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं। हाल ही में यह बात भी सामने आई थी कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को बेंगलुरु के एयरोस्पेस पार्क में 5 एकड़ सिविक एमेनिटीज की जमीन दी गई थी।
भाजपा ने बताया कि मार्च 2014 में, सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पाली इंस्टीट्यूट को 30 साल के लिए 16 एकड़ सरकारी जमीन लीज पर दी थी। कुछ सालों बाद, इस जमीन में 3 एकड़ और जोड़ी गई। आखिरकार,मार्च 2017 में, सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूरी 19 एकड़ जमीन खड़गे परिवार द्वारा संचालित संस्थान को मुफ्त में दे दी। महत्वपूर्ण है कि तब खड़गे के बेटे प्रियंक, जो वर्तमान में भी कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं, तब भी कैबिनेट मंत्री थे जब यह जमीन आवंटित की गई।
सिरोया ने मांग की है कि 19 एकड़ जमीन के हस्तांतरण की, बेंगलुरु के केआईएडीबी की 5 एकड़ जमीन आवंटन की तरह, स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खड़गे परिवार द्वारा कथित सत्ता के दुरुपयोग और भाई-भतीजावाद की ओर इशारा करने के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया है, लेकिन अगर खड़गे परिवार डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और भगवान गौतम सिद्धार्थ के सिद्धांतों में विश्वास रखते हैं, तब उन्हें खुद इस मामले की जांच की मांग करनी चाहिए।