भोपाल । नगर निगम क्लोरीन गैस के रिसाव से बचने के लिए जलशोधन संयंत्र और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन लीक एब्जार्ब्‍सन सिस्टम लगाने की योजना बना रहा है। वहीं यदि गैस का रिसाव हो भी जाए तो इसमें लगा सेंसर तुरंत आवाज करने लगता है, जिससे राहत व बचाव कार्य में आसानी होती है। इस सिस्टम को जलशोधन संयंत्र और एसटीपी में लगाने में पांच करोड़ रुपये खर्च आएगा। नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में क्लोरीन लीक एब्जार्ब्‍सन सिस्टम नर्मदा जलप्रदाय वाले दो जलशोधन संयंत्रों में ही लगाया गया है। अब इसे केरवा, कोलार व बड़े तालाब के जलप्रदाय वाले शोधन संयंत्रों में भी लगाया जाएगा। इसके साथ ही शहर में नौ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 30 पंपिग स्टेशन हैं। यहां भी गंदे पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल होता है। इसलिए यहां भी क्लोरीन लीक एब्जार्ब्‍सन सिस्टम लगाया जाएगा। यह क्लोरीन के टैंक से जुड़ा रहेगा। इसके साथ ही इसमें पाइप के साथ क्लोरीन गैस को अवशोषित करने के लिए टैंक भी रहेगा। सिलेंडर से क्लोरीन लीक होते ही इसमें सेंसर बजने लगेंगे। यदि क्लोरीन के रिसाव की स्थित बनती है तो यह सिस्टम स्वत: ही क्लोरीन को हवा के साथ घोलकर टैंक में जमा कर देगा। इससे वायुमंडल में क्लोरीन गैस के फैलने का डर भी नहीं होगा। इस सिस्टम से 100 से 900 किलोग्राम के सिलेंडर को जोड़ा जा सकेगा। विगत 26 अक्टूबर की शाम को ईदगाह हिल्स स्थित मदर इंडिया कालोनी में क्लोरीन गैस सिलेंडर का वाल्व लीक होने से हड़कंप मच गया था। बस्ती में रहने वाले लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। इसके बाद मदर इंडिया कालोनी में नाले के किनारे रहने वाले 70 से ज्यादा परिवारों को शिफ्ट किया गया। इसके पहले वर्ष 2011 में श्यामला हिल्स जलशोधन संयंत्र, 2015 में पानी में क्लोरीन गैस मिलाने के दौरान दूसरी बार गैस का रिसाव हुआ था। जबकि 2017 में अहमदपुर जलशोधन संयंत्र फिर वर्ष 2020 में प्रकाश तरुण पुष्कर में पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन का मिश्रण करने के दौरान गैस का रिसाव हो चुका है। इस बारे में भोपाल नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी का कहना है कि जलशोधन संयंत्र और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन रिसाव की घटनाओं को रोकने के लिए क्लोरीन लीक एब्जार्ब्‍सन सिस्टम लगाया जाएगा। अभी यह नर्मदा जलप्रदाय से संबंधित संयंत्रो में लगाया जा चुका है।