WTC और भूटानी ग्रुप पर ED का शिकंजा, क्या छिपा है टेकओवर के पीछे?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को दो रियल एस्टेट कंपनियों पर बड़ा एक्शन लिया है. ईडी ने WTC बिल्डर और भूटानी ग्रुप से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी की है. दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में यह छापेमारी की गई है. कथित तौर पर आरोप है कि निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में ये एक्शन लिया गया है. WTC बिल्डर और भूटानी ग्रुप देश की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में शामिल हैं. भूटानी ग्रुप के फिलहाल 74 प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं और यह कंपनी अब तक 90 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा का निर्माण कर चुकी है. डब्ल्यूटीसी ग्रुप की फरीदाबाद, नोएडा और कुछ और जगह पर प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं.
क्यों लिया गया एक्शन?
कंपनियों पर यह एक्शन खरीदारों के साथ धोखाधाड़ी से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर लिया गया है. साथ ही डब्ल्यूटीसी बिल्डर, उसके प्रवर्तक आशीष भल्ला और भूटानी समूह के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के बाद यह एक्शन लिया गया है. डब्ल्यूटीसी बिल्डर पर आरोप है कि उन्होंने निवेशकों से 1 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई, लेकिन पिछले 10-12 वर्षों में प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं किए. ईडी ने कई इलाकों में छापेमारी की और इस दौरान कई अहम दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल फोन, डेस्कटॉप जब्त किया गया. ईडी की टीम धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत इस मामले में जांच कर रही है. नोएडा से लेकर लखनऊ, फरीदाबाद और गुरुग्राम में आरोपियों के परिसरों पर छापे मारे. लखनऊ में शहीद पथ पर भूटानी प्रोजेक्ट के ठिकानों पर सर्च अभियान चलाया गया. साथ ही नोएडा के सेक्टर-90 में बिल्डर के दफ्तर पर भी तलाशी ली गई.
टेकओवर को लेकर हुआ बड़ा खुलासा
इन दोनों कंपनियों पर की गई जांच के बाद एक बड़ा खुलासा किया गया है. जांच में सामने आया है कि भूटानी ग्रुप और डब्ल्यूटीसी के बीच बड़े लेनदेन के सबूत मिले हैं. साथ ही यह भी सामने आया है कि भूटानी ग्रुप डब्ल्यूटीसी को टेकओवर कर रहा था. जहां एक तरफ भूटानी ग्रुप के डब्ल्यूटीसी को टेकओवर करने की बात सामने आई है. वहीं, पिछले दिनों भूटानी ग्रुप ने सेक्टर-32 में लॉजिक्स ग्रुप के सिटी सेंटर मॉल को टेकओवर किया था. ऐसा पहली बार नहीं है कि भूटानी ग्रुप पर छापा मारा गया हो. इससे पहले भी पिछले साल जनवरी में आयकर विभाग ने छापा मारा था. इस दौरान कैश में संपत्तियों के खरीद-फरोख्त के इनपुट सामने आए थे और 700-1000 करोड़ के लेनदेन की पड़ताल भी की जा रही थी.
WTC पर क्यों हो रही जांच
सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूटीसी बिल्डर पर ईडी की जांच फंड डायवर्जन को लेकर हो रही है. दरअसल, ग्रुप के कई शहरों में प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. इन में से कई प्रोजेक्ट्स अधूरे हैं और इन्वेस्टर्स के पैसे इन प्रोजेक्ट्स में फंसे हुए हैं. ऐसे में यह जांच की जा रही है कि जब अभी तक परियोजना पूरी नहीं हुई है और इन्वेस्टर्स ने पैसे दे दिए हैं, तो निवेशकों का पैसा चला कहां गया है. वहीं, दूसरी तरफ अगर भूटानी ग्रुप WTC को टेकओवर कर रहा था तो कितने में डील डन हुई है, उस ने कितना पैसा दिया है. साथ ही टेकओवर करने पर जो पैसा भूटानी ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी को दिया है उस ने उसका क्या किया है, वो कहां गया है. डब्ल्यूटीसी बिल्डर की तरफ से फरीदाबाद के सेक्टर-111 और 114 में लगभग 110 एकड़ जमीन पर प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए हैं. जिसमें प्लॉट बुकिंग के नाम पर पैसे लिए गए, लगभग 2 हजार निवेशकों से 500 एकडड़ रुपये से ज्यादा की राशि ली गई है लेकिन प्लॉट उन्हें हैंडओवर नहीं किया गया है. इसी के बाद अब इन के खिलाफ करोड़ों रुपये की धोखाधाड़ी की 20 से अधिक FIR दर्ज हो गई है जिसके तहत ईडी ने एक्शन लिया है.