क्रेडिट कार्ड आज रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। चाहे बात जरूरी बिल चुकाने की हो, या फिर भी शॉपिंग की। कई बार आपको इमरजेंसी में पैसों की जरूरत पड़ जाती है। उस वक्त क्रेडिट कार्ड बड़े काम की चीज हो जाता है। लेकिन, दिक्कत की बात यह है कि इतने काम की चीज को ज्यादातर बैंक वरिष्ठ नागरिकों को नहीं देते। अगर आप नौजवान हैं, नौकरी करते हैं, तो आपको बैंक झट से क्रेडिट कार्ड दे देते हैं। कई बार क्रेडिट स्कोर कुछ कम रहने पर भी क्रेडिट कार्ड मिल जाता है। वो भी एक नहीं, कई क्रेडिट कार्ड। लेकिन, अगर आप 60 साल का पड़ाव पार कर चुके हैं, तो आपको क्रेडिट कार्ड मिलने में दिक्कत आएगी। चाहे आपका क्रेडिट स्कोर कितना भी अच्छा हो या फिर आपके बैंक अकाउंट में कितने भी रुपये पड़े हों।

बुजुर्गों को क्यों नहीं मिलता क्रेडिट कार्ड

आपने यह कहावत अक्सर सुनी होगी, 'उम्र तो बस एक नंबर है।' लेकिन, वित्त की दुनिया में ऐसा नहीं है। यहां उम्र आपकी वित्तीय क्षमता और स्वतंत्रता को तय करने में एक अहम भूमिका निभाती है। क्रेडिट कार्ड के मामले में तो इसकी अहमियत और भी ज्यादा हो जाती है।  क्रेडिट कार्ड असल में असिक्योर्ड लोन होता है। ऐसे में बैंक पूरा भरोसा चाहते हैं कि क्रेडिट कार्ड होल्डर्स अपना बकाया चुका सकें। इसीलिए बैंक क्रेडिट कार्ड ज्यादातर उसी शख्स को जारी करते हैं, जिसके पास आमदनी का नियमित सोर्स हो। फिर चाहे उसकी कमाई का जरिया स्व-रोजगार या नौकरी हो।

क्रेडिट कार्ड की अधिकतम आयु सीमा


भारत में क्रेडिट कार्ड के लिए अधिकतम उम्र की सीमा बैंकों के हिसाब से अलग-अलग होती है। लेकिन, अधिकतर बैकों में यह 60 से 70 साल के बीच होती है। बैंकों का मानना होता है कि बुजुर्गों के साथ स्वास्थ्य समस्या होती है और रिटायरमेंट के बाद उनके पास आमदनी का कोई नियमित जरिया भी नहीं होता। इस स्थिति में बुजुर्गों को क्रेडिट कार्ड देना अधिक जोखिम भरा हो सकता है। भारत में क्रेडिट कार्ड के लिए अधिकतम आयु सीमा एक बैंक से दूसरे बैंक में अलग-अलग होती है। आमतौर पर, यह 60 से 70 वर्ष के बीच होती है। बैंक आमतौर पर स्वास्थ्य समस्याओं और सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय की कमी के कारण वृद्ध आवेदकों को जोखिम भरा मानते हैं। ये कारक वृद्ध आवेदकों की अपनी बकाया राशि चुकाने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या कहता है आरबीआई का नियम

आरबीआई ने बुजुर्गों को क्रेडिट कार्ड देने के बारे में कोई खास नियम नहीं बना रखा। हालांकि, उसकी गाइडलाइंस यह जरूर कहती है कि बुजुर्गों को कर्ज देना अधिक जोखिम भरा हो सकता है। क्रेडिट कार्ड जारी करना व्यावसायिक फैसला होता है। यह ज्यादातर बैंकों पर ही रहता है कि वे कितनी उम्र वालों को क्रेडिट कार्ड देते हैं। दरअसल, बैंक बुजुर्गों को वित्तीय आश्रित मानते हैं। इसका मतलब कि बुजुर्ग पैसों के लिए अपने बच्चों पर निर्भर रहते हैं। उन्हें सेहत से जुड़ी समस्या भी अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्गों को क्रेडिट कार्ड देने में समय पर बिल पेमेंट मिलने में दिक्कत हो सकती है या फिर बैकों का पैसा फंस सकता है।

क्या बुजुर्गों को क्रेडिट कार्ड न देना गलत है?

बैंकों का बुजुर्गों को क्रेडिट कार्ड न देने के सामाजिक और आर्थिक पहलू हैं। इससे यह संदेश जाता है कि बैंक बुजुर्गों को बोझ की तरह देखते हैं। लेकिन, बुजुर्ग ही रिटायरमेंट के बाद एफडी और दूसरे डिपॉजिट माध्यमों से बैंकों की कमाई बढ़ाते हैं। अब भारत में लोगों को औसत उम्र बढ़ रही है। बुजुर्ग टेक्नोलॉजी का अधिक इस्तेमाल भी करने लगे हैं। ऐसे में क्रेडिट कार्ड से उन्हें काफी सहूलियत हो सकती है। वे होटल और फ्लाइट टिकट बुक कर सकते हैं। ऑनलाइन जाकर बिल का भुगतान कर सकते हैं। सीनियर सिटीजन का अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में अहम योगदान है। ऐसे में बैकों को चाहिए कि वे वरिष्ठ नागरिकों को क्रेडिट कार्ड नियमों में रियायत दें।