सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में छह साल की बच्ची के कथित दुष्कर्म और हत्या के लिए एक व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान काफी बहुआयामी चूक हुई है। न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के अक्टूबर 2015 के फैसले के खिलाफ अभियुक्त द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि निचली अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म के मामले में मौत की सजा सुनाई थी।

दोषी ठहराने के फैसले को रद्द करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर किसी अन्य मामले में यह आरोपी शामिल नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए। जस्टिस विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने कहा कि यह सच है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी कि एक छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ और उसकी हत्या कर दी गई। पीड़िता के माता-पिता को काफी कुछ सहना पड़ा है।बेंच ने 19 मई को सुनवाई में कहा कि इतना दर्दनाक केस होने के बावजूद हम कानून के दायरे में नहीं रह सकते। अभियोजन पक्ष को अपीलकर्ता के अपराध और अपराध में किसी और के दोष को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सभी आवश्यक प्रयासों से गुजरना पड़ा।

पीठ ने कहा कि जांच अधिकारियों को बार-बार बदलने के कारण आश्चर्यजनक और अस्पष्ट हैं। विश्लेषण के लिए एकत्र किए गए नमूनों को भेजने में अस्पष्ट देरी हुई थी। इस अदालत का न केवल कानूनी बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है कि इस तरह के कृत्यों को करने वालों को कानून के दायरे में लाने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाएं।