भोपाल । मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकायों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जिसका लाभ महिलाएं बखूबी उठा रही है। यही वजह है कि प्रदेश के नगर निगमों में 60 प्रतिशत महिलाएं चुनाव जीतकर प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रदेश के 16 नगार निगमों में से नौ में महिला महापौर हैं। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो शहरों की तुलना में ग्रामीण महिलाएं राजनीति में आगे हैं। विधानसभा और लोकसभा में महिला आरक्षण नहीं है फिर भी यहां महिलाओं की संख्या कम नहीं है। मप्र विधानसभा में लगभग 11 प्रतिशत से ज्यादा यानी कुल 230 सदस्यों वाले सदन में 27 है। वहीं, लोकसभा में 29 में से चार सांसद महिलाएं हैं। वहीं, इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से ज्यादा महिलाओं को टिकट दिए जाने की संभावना है। मध्य प्रदेश में राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। राजनीतिक दल यदि महिलाओं की टिकट देने में दरियादली दिखाएं तो तस्वीर कुछ और ही होगी। मप्र विधानसभा चुनाव में वर्ष 2008 में सर्वाधिक महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस ने 37 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था जिनमें आठ ने चुनाव जीता। जबकि भाजपा ने 25 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया। इनमें से 14 ने जीत दर्ज की, एक अन्य सीट पर बसपा की उषा चौधरी को विजय मिली थी। वर्ष 2013 में भाजपा ने 28 महिला प्रत्याशी उतारे और 22 पार्टी के भरोसे पर खरी उतरीं। जबकि कांग्रेस ने 23 महिलाओं को टिकट दिया लेकिन केवल छह ही जीत सकीं। इस चुनाव में दो अन्य दलों की भी महिलाएं जीती। पंद्रहवी विधानसभा 2018 में महिलाओं की संख्या में कमी आई और यह घटकर नौ प्रतिशत यानी 21 हो गई थी। जो 2024 में बढ़कर फिर 27 पर पहुंच गई। लोकसभा और राज्यसभा से नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित होने के बाद से ही राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई है। महिलाओं को आरक्षण संबंधी कानून बनने के बाद उन्हें लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा लेकिन हकीकत ये है कि वर्तमान स्थिति की बात करें तो कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है, जो 15 प्रतिशत टिकट भी महिलाओं को देता हो।  इस बारे में मप्र भाजपा की प्रवक्ता नेहा बग्गा का कहना है कि भाजपा महिलाओं को आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। स्थानीय निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण की वजह से लाखों की संख्या में आज पंच सरपंच नगर निगम अध्यक्ष महापौर पार्षद आदि नेतृत्व कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में 40 लाख माताएं बहने स्व सहायता समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं। भाजपा ने संगठन में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए पन्ना जैसी इकाई पर 33 प्रतिशत का आरक्षण महिला कार्यकर्ताओं के लिए रखा है। देश में पहली बार केंद्र में 11 महिला मंत्री हैं, सुषमा स्वराज को भाजपा ने ही विदेश मंत्री बनाया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मोदी जी के नेतृत्व में आया है। आज तीनों सेनाऔं में भी महिलाओं की भूमिका बड़ी है। ओलंपिक पैरालंपिक में मेडल लाने वाली सर्वाधिक बेटियां हैं। ऐसा कोई आयाम कोई कैरियर नहीं जिसमें महिला चुनौती नहीं दे रही हो। वहीं मप्र प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल का कहना है कि हम लगातार महिला प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भी जो योग्य महिलाएं थीं, उनके नाम आगे बढ़ाए गए। लोकसभा चुनाव के लिए भी नाम प्रस्तावित किए गए हैं। पंचायत चुनाव हो या फिर नगरीय निकाय चुनाव सबमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। मतदान केंद्र स्तर तक महिलाओं की टीम तैयार करके मतदान बढ़ाने पर फोकस किया है। आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भी कार्यक्रम तैयार हो रहे हैं।